आज हम सभी भक्तों के सामने Dharti Mata Ki Kahani ( धरती माता की कहानी ) की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं |
इस Article में हम Dharti Mata Ki Kahani का उल्लेख करेंगे| धरती माता ने अपनी बेटी की पुकार में उसकी लाज बचाने के लिए कैसे उसके वचन का पालन किया और उसे अपने गोद में समाहित किया| यह हम आपको विस्तार पूर्वक बताएंगे|
समुद्र-वसने देवि, पर्वत-स्तन-मंडिते।
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे॥
धरती माता पंचदेवों में से एक है| धरती माता के बिना हम सब जीवों का जीना मुश्किल है| जब सृष्टि की रचना हो रही थी|तो वायु,आकाश,अग्नि,जल,धरती शिवजी से प्रकट हुई है| चलिए हम जानते हैं धरती माता की कहानी के बारे में :-
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धरती माता की कहानी Dharti Mata Ki Kahani
एक मां थी उसके एक बेटे और बेटी भी थी| वह बहुत ही ज्यादा गरीब थी| वह मजदूरी करके उनका गुजारा चलता था| धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे बेटी शादी के योग्य होने लगी| मां बूढी हो गई थी| मां ने बेटे से कहा बेटा तेरी बहन बड़ी हो गई है| तुम्हारे जैसा वर देखकर ही उसकी शादी करना| ऐसा कहकर मां तो कुछ दिनों में मर गई भाई गांव-गांव घूमता रहा लेकिन बहन के योग्य कोई वर नहीं मिला वह घूम घूम कर थक गया|
बैठे-बैठे उसने सोचा कि मैं ही इससे शादी करने के योग्य हूं| सोच कर चुनरी और सामान लेकर आया | भाई
बोला तेरी शादी है| मोहल्ले वालों ने बहन से कहा कि तुम्हारा भाई ही तुमसे शादी कर रहा है| बहन ने भाई से पूछा मेरी शादी आप किस कर रहे हो भाई ने कुछ नहीं बोला तो बहन समझ गई उसने एक लोटा लिया चुनरी ली और चप्पल पहनकर जंगल में रवाना हो गई|
गायों के ग्वालो ने उससे पूछा कि जंगल में क्यों जा रही हो| तो उसने कोई जवाब नहीं दिया वन में जाकर धरती माता को वह पुकारने लगी और बोली मां तू ही मेरी लाज रखना नहीं तो अन्याय हो जाएगा| मैं क्या करूं मुझे अपने गोद में ले लो नहीं तो यहां पर मैं मर जाऊंगी|
धरती मां फटी-तो बहन ने एक तरफ लौटा और चुनरी चप्पल रखदिए| इतने में दौड़ता हुआ भाई वन में आया और ग्वालो से पूछा कि उसकी बहन किस तरफ गई है| ग्वालो ने कहा तेरी बहन उधर वन में गई है| वह बहन-बहन पुकारता हुआ वन में आया|तो उसने देखा कि बहन धरती माता के अंदर समा रही थी|
थोड़े बाल बाहर दिख रहे थे| उसने बहन के बाल मुट्ठी में पकड़ कर रोने लगा| और बोला बहन तू सबके लिए धरती माता की गोद में समा रही है| मेरे तो बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी| मां का वचन निभाने के लिए मेरे जैसा वर कोई नहीं मिला इसलिए ऐसा विचार आया पर धरती मां ने सत्य के लिए बेटी को अपने में समा लिया|
FAQ
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धरती माता के पति का नाम क्या था?
धरती माता संपूर्ण जग की मां भगवान विष्णु की पत्नि हैं | और संपूर्ण जग की मां हैं।
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धरती माता की पूजा कैसे की जाती है?
इस व्रत में कोई विशेष पूजा या नियम नहीं होता। इसलिए इस व्रत को कोई भी रख सकते हैं। इस व्रत में जितने दिन कथा सुनें, प्रातः उठते ही धरती माता को प्रणाम करें। धरती माता को प्रणाम अवश्य करें और इसके बाद संभव हो तो यह नियम जीवन भर पालें और बच्चों को भी ऐसा करने को बोलें।
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धरती माता के पुत्र कितने हैं?
उत्तर भारत के परंपरा के अनुसार, माता धरती की पुत्री माता सीता है और उनके पुत्र का नाम मंगलदेव है, जो मंगल ग्रह के स्वामी हैं। पृथ्वी के पिता का नाम पृथु माना जाता है। पृथु भगवान विष्णु के अंश से प्रकट हुए थे।
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धरती माता से क्षमा कैसे मांगे?
पर्वत-स्तनों से युक्त भगवान विष्णु की पत्नि| समुद्र-रूपी वस्त्र पहनने वाली| मुझे आप क्षमा करें।”
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धरती माता की कहानी कब सुननी चाहिए?
धरती माता के व्रत और पूजन का विशेष महत्व शास्त्रों और पुराणों में विवरणित है। इस व्रत और पूजा के दौरान, धरती माता की कहानी सुनी जाती है। जो भी व्यक्ति इसे ईमानदारी से करता है, उसे पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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Disclaimer: यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है | यहां यह बताना जरूरी है कि AdarshBhakti.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है | किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें |
Jai dharti mata