पशुपतिनाथ व्रत कथा | Pashupatinath Vrat Katha

आज हम सभी भक्तों के सामने Pashupatinath Vrat Katha ( पशुपतिनाथ व्रत कथा ) की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं | इसके अलावा हम पशुपतिनाथ आरती की Lyrics उपलब्ध करवाएंगे |

इस Article में भगवान हम Pashupatinath Vrat Katha का वर्णन करेंगे| श्री पशुपतिनाथ जी की तीन पौराणिक कथाएं है| अगर आप पशुपतिनाथ के व्रत करते हैं तो इन कथाओं का श्रवण आप अवश्य करें।

Pashupatinath Vrat Katha
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भगवान शिव जिनका ना तो कोई स्वरूप है|वह भोले हैं या रूद्र या वह शांत है| या वह महाकाल है,हम उनके बारे में जितना कहे उतना कम है| हमारे शरीर में उतनी ऊर्जा नहीं कि हम उनके बारे में अनुमान लगा सके भगवान शिव अनंत काल से इस ब्रह्मांड के स्वामी है भगवान शिव का तो ना ही जन्म हुआ है वह अजय अमर है वह देवों के देव महादेव है|

पशुपतिनाथ व्रत कथाPashupatinath Vrat Katha

पशुपतिनाथ का सबसे पहले हम अर्थ जान लेते हैं कि पशुपतिनाथ का अर्थ क्या है? पशु का अर्थात जीव यानी प्राणी और पति का अर्थ है स्वामी और नाथ का अर्थ है मालिक या भगवान। इसका मतलब यह हुआ कि संसार के समस्त जीवों के स्वामी या भगवान है पशुपतिनाथ दूसरे अर्थों में पशुपतिनाथ का अर्थ है जीवन का मालिक। पशुपतिनाथ से जुड़ा हुआ कुछ मंदिर का इतिहास भी हम थोड़ा सा जान लेते हैं|

जिससे की आपको पशुपतिनाथ के प्रति श्रद्धा भक्ति है वो और ज्यादा बढ़ जाएगी। दो पशुपतिनाथ मंदिर है वो प्रसिद्ध है, एक नेपाल के काठमांडू का और दूसरा भारत के मंदसौर का। दोनों ही मंदिर में मूर्तियां समान आकृति वाली है।नेपाल का मंदिर बागमती नदी के किनारे काठमांडू में स्थित है| और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।

यह मंदिर भव्य है और यहाँ पर देश विदेश के पर्यटक आते हैं। पशुपतिनाथ का मंदिर काफी पुराना है। ये मंदिर प्रत्येक दिन प्राप्त 4:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक खुला रहता है। केवल दोपहर के समय और शाम 5:00 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।

मंदिर में जाने का सबसे उत्तम समय है सुबह और शाम का समय होता है। मंदिर में परिसर का भ्रमण करने के लिए 90 से 100 मिनट का समय। इसमें टोटल अवधि लगती है। अगर हम इस मंदिर का पूरा भ्रमण करते हैं तो 90 से लेकर 100 मिनट का समय हमें लगता है।

Pashupatinath Vrat Katha
पशुपतिनाथ व्रत कथा

नेपाल के पशुपतिनाथ का मंदिर काठमांडू के पास देवपाटन गांव में बागमती नदी के किनारे स्थित हैं। मंदिर में भगवान शिव की एक पांच मुँह वाली मूर्ति है। पशुपतिनाथ विक्रय में चारों दिशाओं में एक मुख्य और एक मुख ऊपर की ओर है। प्रत्येक मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल मौजूद हैं। मान्यता के अनुसार पशुपतिनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिङ्ग पारस पत्थर के समान है।

पशुपतिनाथ मंदिर के संबंध में यह मान्यता है।ये जो भी व्यक्ति इस स्थान के दर्शन कर लेता है, फिर उसे किसी भी जन्म में पशु योनि प्राप्त नहीं होती है।

इससे पहले आप अपने हाथ में अगर आपके पास पुष्प है तो आप पुष्प अपने हाथ में रख लें या फिर थोड़े से चावल के दाने आप अपने हाथ में लेकर और नीचे आसन पर बैठकर भगवान भोलेनाथ का पशुपतिनाथ का ध्यान करते हुए इस कथा का आप श्रवण करें और कथा सुनने के बाद इन चावल पुष्पों को आप पशुपतिनाथ में या फिर अपने घर के मंदिर में उनको अर्पित कर दें। बोलिए पशुपतिनाथ की जय|

  1. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यहाँ पर चिंकारे का रूप धारण करके निंद्रा में चले बैठे थे। तब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया। तो उन्होंने नदी के दूसरी ओर छलांग लगाई। कहा जाता है इस दौरान उनका सींग चार टुकड़ों में टूट गया था। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहाँ प्रकट हुए थे। पशुपतिनाथ की जय|
  2. दूसरी कथा एक चरवाहे से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि इस शिवलिंग को एक चरवाहे द्वारा खोजा गया था, जिसके गाय के दूध से अभिषेक कर शिव लिंग के स्थान का पता लगाया था।पशुपतिनाथ की जय|
  3. तीसरी कथा भारत के उत्तराखंड राज्य से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार मंदिर का संबंध केदारनाथ मंदिर से है। कहा जाता है कि जब पांडवों को स्वर्ग प्रयाण के समय शिवजी ने भैंसे के स्वरूप में दर्शन दिए थे, जो बाद में धरती में समा गई, लेकिन पूर्ण सामान्य से पूर्व भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली थी। इस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था। उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है| एवं जीस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ कहा जाता है। पुराणो में पंच केदार की कथा के नाम से इस कथा का विस्तार से उल्लेख मिलता है। पशुपतिनाथ की जय|

पशुपतिनाथ आप सबकी मनोकामना पूर्ण करे, सबकी झोली खुशियों से भर दें। जिनको पुत्र प्राप्ति का योग नहीं है उन्हें पुत्र प्राप्ति का योग दे। जिनको शीघ्र विवाह का योग नहीं बन रहा है। उनके जल्दी से शीघ्र विवाह हो जाए। यह पशुपतिनाथ सबको अन्न धन के भंडार से भरे रखना सबको सुखी करना बोलिए। पशुपतिनाथ की जय हर हर महादेव जय भोले नाथ।

पशुपतिनाथ व्रत करने की विधि – Pashupatinath Vrat Katha

  1. कोई दिक्कत आ गयी है?
  2. कोई बिमारी आ गई है?
  3. कष्ट बहुत ज्यादा हो रहा है?
  4. कर्जा बढ़ गया है?
पशुपतिनाथ व्रत करने की विधि
पशुपतिनाथ व्रत कथा

पशुपतिनाथ व्रत करने की विधि से आपको हर रोग हर कष्ट से छुटकारा होगा जानते हैं इस विधि के बारे में

किसी को बहुत तकलीफ चल रही हो, बहुत कष्ट हो रहा हो। बहुत ज्यादा दुखी हो तो पांच सोमवार पशुपति व्रत कर लो। कितने सोमवार पांच पशुपति व्रत करने का नियम? अच्छे से समझते हैं। पांच सोमवार करना है कोई से भी सोमवार से चालू कर सकते हो कैसे करना है।

सुबह के समय पर भगवान शंकर का अभिषेक पूजन करने मंदिर में चले जाम, पूजन अर्चना आराम से कर-कर आओ, शाम के समय वही थाली लाकर घर में रख सुबह के समय फल खा लो या मीठे का भोजन कर।

अर्थात मीठा का भोजन मतलब फलाहारी भोजन जो भी मीठे का है वो करे शाम के समय घर से छे दिए लगाकर लेके जाएंगे ठीक है कितने दिए छे सात में कुछ मीठा बना कर ले कर। शंकर जी के मंदिर में जाकर मीठे के तीन हिस्से करें।

दो हिस्से मंदिर में रख दें। एक हिस्सा अपने साथ लेकर आना मंदिर से छे दिया लेकर गए हो वो पांच दिए भगवान शंकर के सामने लगा दो पशुपतिनाथ के नाम से अपनी कामना कर एक दिया थाली में रखकर वापस ले आना जब घर में प्रवेश करें, घर के अंदर प्रवेश करते समय राइट भाग में प्रवेश करेंगे।

इसका सीधा प्रवेश करते समय राइट हाथ में जो दिया लेकर आये हो वो दिया दरवाजे के बाहर लगा दीजिये, घर के अंदर प्रवेश कर जाओ, जब भोजन करो शाम को तो जो आपने तीन इससे करे थे उसका जो हिस्सा लेकर आये हो वो हिस्से के साथ में भोजन कर लीजिए। इसको कहते हैं पशुपति व्रत मात्र पांच व्रत कर लो अगर कोई समस्या है।

पशुपतिनाथ व्रत सुबह की पूजा कैसे करें – Pashupatinath Vrat Katha


पशुपतिनाथ व्रत सुबह की पूजा कैसे करें
पशुपतिनाथ व्रत कथा

सबसे पहले पशुपतिनाथ जी की पूजा हमें सुबह वह शाम के समय करनी चाहिए है|और यह शिवालय में जाकर के ही की जाती है|आप जब अपने घर के निकट वाले शिवालय में जाते हैं तो सबसे पहले आपके को अच्छी तरीके से साफ सफाई कर देनी चाहिए|

फिर सारे देवी देवताओं को प्रणाम करके आपको शिवजी के साथ नंदी की मां पार्वती गणेश जी तथा कार्तिकेय जी को जल अर्पित कर फिर भोलेनाथ के ऊपर जल अर्पित करना चाहिए और उसके बाद भोलेनाथ तथा सारे देवी देवताओं का श्रृंगार करके उनको प्रणाम करना चाहिए तथा अपने मनोकामना उनके सामने बोलनी चाहिए|

आप अपने मनोकामना बोलने के बाद पशुपतिनाथ जी को आप फल मिठाइयांका भोग लगा सकते हैं और उनको
पुष्प अर्पित करें और उनको आप प्रणाम करें और उनसे आपके सारे कष्ट हरने का वर्मा|भगवान पशुपतिनाथ बहुत दयालु है वह अपने हरभक्ति उपवास सुनते हैं और आप जब यह विधि पांच सोमवार तक करेंगे तो आप पर भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न होंगे|और आप शाम की पूजा भोलेनाथ के दरबार जाकर शिवलिंग के पास दिए जलाकर और उन पर पोस्ट चढ़कर कर सकते हैं

पशुपतिनाथ व्रत के फायदे – Pashupatinath Vrat Katha

पशुपतिनाथ व्रत के फायदे
पशुपतिनाथ व्रत कथा

  1. पशुपतिनाथ व्रत का पालन करने से मन को शांति मिलती है, यह व्रत भगवान शिव की पूजा और भक्ति का एक अच्छा मार्ग है, जिससे आत्मा शुद्ध होती है |
  2. व्रत का पालन करने से आपका शरीर बिल्कुल स्वस्थ रहता है इस व्रत में हम फल और दूध का सेवन करते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभ दानी है|
  3. इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव से कृपा मिलती है और वह अपने भक्तों को सपने में दर्शन प्रदान करते हैं।
  4. व्रत का पालन करने से आपके मन को बहुत आराम मिलता है, और वह अच्छे कार्य करने की और आपको बढ़ावा देता है |
  5. पशुपतिनाथ व्रत का पालन करने से परिवार में खुशी और सामाजिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  6. यह व्रत पापों से मुक्ति देता है, आपको अच्छे कर्म करने की और बढ़ावा देता है |

यहाँ याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर व्रत की अपनी विशेष मान्यताएं और नियम होते हैं, इसलिए व्रत का पालन ध्यान से करना चाहिए|

पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाएं ?

साबूदाने की खीर

एक पौष्टिक और स्वादिष्ट उपवासी व्यंजन है साबूदाना खीर जो पशुपतिनाथ व्रत के व्रत के दौरान आमतौर पर बनाया जाता है। यह खीर आपके उपवास को रुचिकर बना देता है और सभी को खुश कर देता है। साबूदाना खीर बनाने की विधि:-

पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाएं-साबूदाना की खीर
पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाएं – साबूदाना की खीर

साबूदाना खीर की सामग्री:-

1 छोटा चम्मच घी
1 कप चीनी
4-5 इलाइची की दाने
1/2 कप साबूदाना
1 लीटर दूध
1/4 कप कटी हुई मिश्री (वैकल्पिक)
अल्मंड किशमिश बादाम अच्छा दिखाने के लिए

साबूदाना खीर बनाने की विधि:

  1. सबसे पहले साबूदाना को पानी में अच्छे से धोकर उसे 2-3 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखें। इससे साबूदाना फूल जाएगा।
  2. दूध को एक पैन में डालें और उबालने दे उसमें इलाइची की दानें और भिगोया हुआ साबूदाना डालकर उबालने दें।साबू दाना चम्मच चलाते हुए पकने दें हे ध्यान दे की लहसुन और नमक भूलकर भी ना डालें
  3. अब, इसे मध्यम आंच पर उबालने दें। साबूदाना अच्छी तरह से पकने तक धीमी आंच पर उबलने दें|
  4. अब, चीनी को खीर में मिलाएं और उसे अच्छी तरह से मिलाकर गाढ़ा होने तक पकने दें।
    जब खीर गाढ़ी हो जाए, तो इसमें घी डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
  5. अब एक अलग से छोटे पैन में घी गर्म करके उसमें काजू किशमिश बादाम और नारियल के छोटे टुकड़ों का तड़का लगाकर खीर में डालने से खीर का स्वाद और बढ़ जाता है।


लीजिए. हो गई आपकी खीर तैयार साबूदाना खीर वर्ग में बहुत उपयोग होती है और इसका स्वास्थ्य बहुत अच्छा होता है आप इसे गर्म बाय ठंडा करके दोनों प्रकार से खा सकते हैं| यह व्रत के दौरान भूख को दूर करने के साथ-साथ आपको पौष्टिकता भी प्रदान करता है।

फल (केला, सेब, संतरा)

व्रत में फलों का सेवन करना सुझावित होता है, जैसे कि केला, सीब, आम, अनार, आदि।

पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाएं-फल (केला, सेब, संतरा)
पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाएं- फल (केला, सेब, संतरा)

ये फल पशुपतिनाथ व्रत के दिनों में आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं और पौष्टिकता बढ़ाते हैं। आप इन्हें अपने व्रती भोजन के साथ शामिल कर सकते हैं और इन्हें स्वादिष्टी से खा सकते|

दूध

पशुपतिनाथ व्रत के दिन दूध का सेवन किया जा सकता है, लेकिन इसमें चीनी का आदर कम किया जाता है। व्रती लोग विशेष रूप से अच्छे से दूध को उबालकर पी सकते हैं, जिसमें इलायची का पाउडर डालकर स्वाद बढ़ा सकते हैं।

पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाएं:- दूध
पशुपतिनाथ व्रत में क्या खाएं:- दूध

दूध और साबूदाना खीर खा सकते हैं। यदि व्रत के नियमों में दूध की अनुमति होती है, तो यह व्रती भोजन के रूप में दूध को उपयोग में लाया जा सकता है।

श्री पशुपति नाथ जी की आरती Shri Pashupati Nath Ji Ki Aarti In Hindi

ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा
ॐ हर हर हर महादेव

कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने
गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने
ॐ हर हर हर महादेव

कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता
ॐ हर हर हर महादेव

तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता
तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता
ॐ हर हर हर महादेव

क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्‌
इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम्‌
ॐ हर हर हर महादेव

बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता
ॐ हर हर हर महादेव

धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते
क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते
ॐ हर हर हर महादेव

रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता
चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां
ॐ हर हर हर महादेव

तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते
अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते
ॐ हर हर हर महादेव

कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्‌
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्‌
ॐ हर हर हर महादेव

सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्‌
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम्‌
ॐ हर हर हर महादेव

मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्‌
वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम्‌
ॐ हर हर हर महादेव

सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्‌
इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं
ॐ हर हर हर महादेव

शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते
नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते
ॐ हर हर हर महादेव

अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा
अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा
ॐ हर हर हर महादेव

ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा
ॐ हर हर हर महादेव

संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते
शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते
ॐ हर हर हर महादेव

श्री पशुपति नाथ जी की आरती Shri Pashupati Nath Ji Ki Aarti In English

Om Jai Gangadhar Jai Har Jai Girijadhisha.
Twam Maa Palaaya Nityam Kripa Jagdisha. Om Har Har Mahadev

Kailase Girishikhare Kalpadramvipine.
Gunjati Madhukarpunje Kunjwane Gahne. Om Har Har Mahadev

Kokilkuzit Khelat Hansavan Lalita.
Rachyati Kalakalapam Nritya Mudasahita. Om Har Har Mahadev

Tasmillitlitudeshe Shala Manirachita.
Tanmadhye Harnikte Gauri Mudsahita. Om Har Har Mahadev

Kerrda Rachyati Bhusarchit Nizamisham.
Indradik Sur Sewat Namayate Shisham. Om Har Har Mahadev

Bibudhabadhu Bahu Nrityaat Namayate Mudsahita.
Kinnar Gaayan Kurute Sapt Swar Sahita. Om Har Har Mahadev

Dhinakat Tai Tai Dhinakat Mridang Vaadate.
Kwan Kwan Lalita Venu Madhuram Natayate. Om Har Har Mahadev

Rupa Rune Charane Rachyita Nupurumuzhvlita.
Chakravarte Brhyati Kurute Tam Dhik Tam. Om Har Har Mahadev

Tam Tam Lup Chup Tam Tam Damru Wadyate.
Angusthangulinand Lasakatam Kurute. Om Har Har Mahadev

Kapoorradyutigauram Panchananasahitam.
Trinayanshidharamoulin Vishdharkanthyutam. Om Har Har Mahadev

Sundarajatayakalapam Pavakyutabalam.
Damrutrishulapinkam Kardhritrnrkapalam. Om Har Har Mahadev

Mundai Rachiyati Mala Pannagamupaveetam.
Vaamvibhage Girijarupam Atilalitam. Om Har Har Mahadev

Sundarasakalasriere Kritabhasabharamanam.
Iti Vrishabhadvajarupam Tapatraharanam. Om Har Har Mahadev

Shankhaninadam Kritwa Jhalari Nadayate.
Neerajayate Brahma Vedruchaan Pathete. Om Har Har Mahadev

Amritdrucharansarojam Hratkmale Dritva.
Avalokayati Mahesham Ishaan Abhinavatha.Om Har Har Mahadev

Dhyan Aarti Samaye Hridyea Ati Kritva.
Ramastrijatanatham Ishaan Abhinavatha.Om Har Har Mahadev

Sangatimevam Pratidin Pathan Yah Kurute.
Shivasayujya Gachhati Bhaktya Ya Shrishunte.Om Har Har Mahadev


FQA – Pashupatinath Vrat Katha

  1. पशुपति व्रत की पूजा कैसे करनी चाहिए?

    शिव भगवान का अभिषेक करें। और अपनी पूजा की थाली में (धूप, दीप, चंदन, लाल चंदन, विल्व पत्र, पुष्प, फल, जल) ले जाएं|

  2. पशुपति व्रत में कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

    ऊं पशुपतिनाथाय नमः

  3. पशुपति व्रत की पूजा घर में कर सकते हैं क्या?

    पशुपति व्रत घर पर कर सकते हैं।

  4. पशुपतिनाथ मंदिर में किस चीज की अनुमति नहीं है?

    पर्यटकों को मुख्य मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है| क्योंकि यह पूरी तरह से हिंदू भक्तों के लिए है , आपको यह साबित करने के लिए अपना आईडी कार्ड भी दिखाना होगा कि आप हिंदू है। पर्यटकों को परिसर के बाहर घूमने की अनुमति है|

  5. पूजा करने का सही समय क्या है?

    पूजा करने का सही समय प्रात: काल को माना गया है| ऐसे में पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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